कैसे बनते है पटाखे ? इसका आविष्कार कब हुआ, और इसमें कौन-कौन सी गैस होती है? जानिए पूरी जानकारी

पटाखे
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मध्यप्रदेश के हरदा जिले में 6 फरवरी (मंगलवार) को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमे एक पटाखे की फैक्ट्री में आग लगने से ब्लास्ट हो गया. इस हादसे में करीब 11 लोगो की मौत हो गई और 100 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए. ये ब्लास्ट इतनी तेज़ था की कई किलोमीटर दूर तक इसकी आवाज सुनाई दी और इसकी चपेट में आने वाले लोग दूर उछल गए.

इस पूरी घटना में सोचने वाली बात यह है की जिन पटाखों को हम दिवाली, न्यू ईयर और अन्य किसी उत्सव के मौके पर जलाते है क्या वो इतने खतरनाक होते है? आखिर कैसे बनते है पटाखे, इनका आविष्कार कब हुआ और इसमें कौन गैस होती है जो हवा के संपर्क में आते ही जहर बन जाती है? आइए जानते है…

कैसे बनते है पटाखे

पटाखे कई प्रकार के होते है जिन्हे बनाने की प्रक्रिया भी अलग अलग होती है :

  • 1. फुलझड़ी : फुलझड़ी को बनाने के लिए सबसे पहले तांबे के तारों को लकड़ी के एक सांचे में जमाया जाता है फिर उस सांचे को एक घोल में डुबाया जाता है यह घोल पोटेशियम क्लोरेट, एल्यूमीनम, मेगानिशियम, सल्फर, पोटेशियम नाइट्रेट, शुगर, स्ट्रैच आदि केमिकल्स के मिक्सचर से तैयार किया जाता है. तारो को घोल में डूबने के बाद इसे सूखने के लिए रखा जाता है और एक बार फिर इसी प्रक्रिया को दोहराया जाता है ताकि फुलझड़ी की परत थोड़ी मोटी हो सके और फिर इस पर मैग्नीशियम पाउडर को छिड़का जाता है जिससे जब फुलजाती जलती है तब वह चमकती है. आखिर में फुलजादियों को बॉक्स में पैक किया जाता है.
  • 2. रस्सी बम : रस्सी बम बनाने के लिए कार्ड बोर्ड के छोटे छोटे बॉक्स में बारूद को भरा जाता है और फिर बॉक्स पर सुतली को अच्छी तरह लपेट दिया जाता है इसके बाद इनमे रंग भरके इन्हें धूप में सूखने के लिए रख दिया जाता है और फिर रस्सी बम में छेद करके बारूद वाले धागे को डाल दिया जाता है अंत में इसपर लेबल लगा कर बॉक्स में पैक कर दिया जाता है.
  • 3. पटाखे : पटाखों को बनाने के लिए सबसे पहले काग़ज़ की पाइप को मशीन की मदद से एक समान टुकड़ों में काटा जाता है इसके बाद एक गोल सांचे में भर कर जमाया जाता है जिसके बाद इसके ऊपरी तरफ टिशू पेपर को लगाया जाता है और नीचे की तरफ मिट्टी को लगाया जाता है जिससे की बारूद काग़ज़ की पाइप से बाहर न निकल पाए. इसके बाद इन्हें धूप में सूखने के लिए रखा जाता है जिसके बाद टिशू पेपर वाली तरफ से इनमे छेद किया जाता है और उनमें बारूद और फ्यूज को भरा जाता है जिसके बाद एक बार फिर पटाखों को सुखा कर गोल सांचे से अलग किया जाता है और एक धागे के जरिए पटाखों को बांध कर लड़ी बनाई जाती है अंत में पटाखों को पैक कर दिया जाता है.

किस चीज से बनते है पटाखे ?

पटाखे बनाने के लिए जिस पाउडर का इस्तमाल किया जाता है उसमे पोटेशियम परक्लोरेट, बेरियम नाइट्रेट, पर्लाइट पाउडर, मैग्नीशियम एलुमिनियम मिक्‍चर, एलुमिनियम पाउडर, टाइटेनियम पाउडर, ब्रिम स्टोन, कैल्शियम क्लोराइड, सोडियम नाइट्रेट, बेरियम क्लोराइड, कॉपर क्लोराइड आदि शामिल हैं. पटाखे में हरे रंग की लौ बेरियम के कारण होती है और नीली रंग की लौ कॉपर और नारंगी रंग की लौ कैल्शियम की मौजूदगी के वजह से होती है.

पटाखों से कौनसी गैस निकलती है ?

जब हम पटाखे जलाते है तब उसमे से कई प्रकार की गैस निकलती है, जिसमे से मुख्य रूप से कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, और हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्ट, मरकरी मैग्निशियम शामिल है. इस तरह की गैस हवा के संपर्क में आते ही जहरीली बन जाती है जो हमारे स्वस्थ के लिए कई समस्या पैदा कर सकती है जैसे आखों में जलन, स्किन इन्फेक्शन और सांस लेने में तकलीफ आदि.

पटाखों का अविष्कार कैसे हुआ?

पटाखे
Image by starline on Freepik

पटाखों का ऐतिहासिक प्रमाण चीन में मिलता है ऐसा माना जाता है की चीन ने बारूद का अविष्कार किया था, जिससे आतिशबाजी का भी अविष्कार हुआ. शुरुआत में पटाखों का उपयोग औपचारिक और धार्मिक उद्देशों के लिए किया जाता था, ऐसा माना जाता था की पटाखों में बुरी आत्माओं को दूर करने और सौभाग्य लाने की शक्ति होती है. धीरे धीरे पटाखों की लोकप्रियता चीन से लेकर दुनिया के अन्य देशों में भी फैल गई.

भारत में पटाखे की शुरुआत

भारत में पटाखों का इतिहास काफी पुराना है 15वीं सदी की कई चित्रकारी और मूर्तियों में आतिशबाजी देखने को मिलती थी. महाभारत काल में पटाखों के बारे में सुनने को मिलता है, माना जाता है की भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि के विवाह  के समय आतिशबाजी की गई थी.

किन अवसरों पर पटाखे जलाए जाते है?

आज के समय में पटाखों का उपयोग विभिन्न समारोहों और उत्सव के मौके पर किया जाता है उदाहरण के तौर पर देखे तो…

  • 1. दिवाली : दिवाली के दौरान, अंधेरे पर प्रकाश की विजय का जश्न मनाने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भागने के लिए पटाखे जलाए जाते है इसके अलावा दिवाली एक खुशी और उल्लास का अवसर होता है जिसे लोग पटाखे जलाकर सेलिब्रेट करते है.
  • 2. नया साल : भारत समेत कई अन्य देशों में नए साल के अवसर पर पटाखे जलाए जाते है पटाखों से रोशनी और शोर का प्रदर्शन करके लोग नए साल का स्वागत करते है जो एक नई शुरुआत के जश्न का प्रतीक है.
  • 3. शादियाँ: आज के समय में शादी-विवाह में अगर पटाखों को ना जलाया जाए तो शादी अधूरी और फीकी लगती है. शादियों में पटाखों का उपयोग जश्न मनाने और नवविवाहितों के लिए सौभाग्य लाने के लिए किया जाता है. पटाखे बारात के दौरान या विवाह स्थल पर जोड़े के आगमन के समय जलाए जाते है.
  • 4. राष्ट्रीय त्यौहार : किसी देश की स्थापना या स्वतंत्रता के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वतंत्रता समारोह के दौरान अक्सर पटाखों का उपयोग किया जाता है. ऐसे अवसरों पर होने वाले आतिशबाजी प्रदर्शन और उत्सवों की एक सामान्य विशेषता है.
  • 5. जीत का जश्न : अक्सर किसी जीत का जश्न मनाने के लिए पटाखे जलाकर आतिशबाजी की जाती है जैसे खेल के क्षेत्र में देखे तो भारतीय क्रिकेट टीम की जीत या अन्य किसी प्रकार की जीत पर पटाखे जलाए जाते है

MP के हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुआ ब्लास्ट : 11 लोगो की मौत, 100 से ज्यादा हुए घायल.

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