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‘दिल्ली चलो’ किसान आंदोलन: किसानो ने सरकारी प्रस्तावों को खारिज कर दिया है, आगे क्या ?

‘दिल्ली चलो किसान आंदोलन किसानो ने सरकारी प्रस्तावों को खारिज कर दिया है आगे क्या
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प्रस्ताव का विरोध

किसान आंदोलन के दौरान किसान नेताओं ने सरकारी प्रस्तावों को खारिज किया है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य है केंद्र सरकार को दाल, मक्का और कपास की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मामले में किसानों की मांगों को सुनने के लिए मजबूर करना। इस प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन में भाग लेने वाले किसान नेताओं ने इसे स्वीकार नहीं किया है।

किसानों की मांगें और सरकारी प्रतिक्रिया:

किसान आंदोलन मे किसानों की मुख्य मांग है कि सरकार को उनकी फसलों की एमएसपी को बढ़ाने और उन्हें समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता है। सरकारी प्रस्ताव में पांच साल के लिए एमएसपी पर खरीदने की योजना है, जो किसानों को आरामदायक नहीं लगी। नेताओं का कहना है कि यह प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है और उन्होंने इसे खारिज करते हुए दिल्ली में आंदोलन की घोषणा की है। सरकार ने तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति के माध्यम से किसानों की बातचीत का प्रस्ताव दिया है, लेकिन किसान नेताओं के अनुसार इसमें भी किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया है।

किसान आंदोलन का आगाज़:

किसान आंदोलन नवंबर 2020 से चल रहा है, जब उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया। उनकी मुख्य मांगें थीं कि एमएसपी को कानूनी गारंटी के साथ बढ़ाया जाए और नए कानूनों को रद्द किया जाए। इस आंदोलन का आगाज़ हरियाणा और पंजाब के किसानों के द्वारा किया गया था, जो कि भारत के दो बड़ी कृषि राज्य हैं। किसानों ने उन्हें सपोर्ट किया, और इस आंदोलन ने देश भर में विवाद और उथल-पुथल मचा दी है।

नेताओं की मांगों का समर्थन:

आंदोलन में किसान नेताओं ने सरकार की ओर से प्रस्तावित किए गए कृषि सुधार कानूनों का सर्वोत्तम रूप से विरोध किया है। उनका मानना है कि ये कानून किसानों को कृषि बाजार में निजीकरण की ओर ले जा रहे हैं। इसके बजाय, वे चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों को सुने और उन्हें न्याय दे।

आंदोलन मे आगे क्या ?

किसान नेताओं का यह फैसला कि सरकारी प्रस्तावों को खारिज कर दिया जाए, आंदोलन को आगे बढ़ाने की तैयारी है। उनका कहना है कि वे दिल्ली में कूच करेंगे और वहां धरना देंगे ताकि उनकी आवाज़ सरकार के द्वारा सुनी जा सके।

भारतीय किसान आंदोलन ने एक बड़ी सामाजिक और राजनीतिक चर्चा को उत्पन्न किया है, जो कि देश के किसानों के हित में नई नीतियों की जरूरत को लेकर है। किसान नेताओं द्वारा सरकारी प्रस्तावों का खारिज किया जाना और दिल्ली में कूच करने का फैसला किया जाना, इस आंदोलन की महत्वपूर्ण मोर्चा है। अब यह देखना है कि सरकार कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या वह किसानों की मांगों को सुनती है या नहीं।


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