बजट का अर्थ क्या है ?
बजट एक आर्थिक योजना होती है जिसमें सरकार द्वारा निर्धारित समय अवधि के लिए आय और व्यय की विस्तृत सूची होती है। राष्ट्रीय स्तर पर, बजट एक देश की आर्थिक प्रगति और विकास के लिए नीतियों का मैप तैयार करता है। इसमें आम लोगों को भी दिशा और आर्थिक नीतीयों का पता चलता है।
जानिए !
बजट कब आता है ?
भारत में बजट वार्षिक रूप से फरवरी महीने के आखिरी मे पेश किया जाता है। इसे ‘वित्त वर्ष का बजट’ कहा जाता है और इसमें आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार की आर्थिक योजना और नीतियों की विस्तृत रणनीति शामिल होती है।
बजट कौन पेश करता है ?
बजट केंद्र सरकार द्वारा पेश किया जाता है। वित्तमंत्री बजट को प्रस्तुत करते हैं, जो आमतौर पर वित्तीय वर्ष के लिए सरकारी आर्थिक योजनाओं का विवरण और आम लोगों के हितों की देखभाल को ध्यान में रखते हुए बजट पेश करते हैं।
बजट तैयार कैसे होता है
बजट तैयार करने के लिए कई चरण होते हैं।
- आँकड़े संग्रहित करना: सरकार विभिन्न क्षेत्रों में आँकड़े, जैसे आय, व्यय, और आर्थिक प्रगति के लिए साक्षात्कार और अन्य स्रोतों से आँकड़े संग्रहित करती है।
- योजना बनान: वित्तमंत्री और उनकी टीम योजनाओं को तैयार करती हैं, जो आमतौर पर सरकार के विकास और आर्थिक उद्देश्यों के साथ मेल खाते हैं।
- बजट की तैयारी: इसके बाद, एक बजट तैयार किया जाता है जिसमें आय और व्यय की विस्तृत सूची शामिल होती है।
- पेशकश : बजट वित्तमंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है, जहां इसपे चर्चा की जाती है और अंत में अनुमोदित किया जाता है।
- लागू करना: एक बार संसद द्वारा मंजूरी प्राप्त होने के बाद, बजट को लागू किया जाता है और विभिन्न विभागों द्वारा इसके अनुपालन की जांच की जाती है।
भारत का पहला बजट कब आया था ?
भारत का पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को आया था। इसे तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सरकार ने पेश किया था। इस बजट का तैयारीकरण और प्रस्तुतिकरण वित्तमंत्री जेम्स विल्सन द्वारा किया गया था।
बजट के जनक कौन थे ?
भारतीय बजट के जनक को विलियम जेम्स विल्सन कहा जाता है। उन्होंने 7 अप्रैल 1860 को भारत का पहला बजट पेश किया था। उनके द्वारा पेश किया गया बजट केंद्रीय और प्रांतीय आर्थिक नीतियों को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण था।
भारत की आजादी के बाद का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को के. शनमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया था।
भारतीय बजट के 10 मुख्य सिद्धांत क्या है ?
- 1. संतुलित बजट: आय और व्यय को संतुलित रखने का प्रयास करना।
- 2. कार्यकारी वित्तीय प्रबंधन: प्राधिकृत व्यय को बजट के अंतर्गत रखकर कार्यकारी प्रबंधन का सुनिश्चित करना।
- 3. गुणवत्ता की सुनिश्चितता: बजट के अंतर्गत वित्तीय संसाधनों का गुणवत्ता और प्रभाव की सुनिश्चितता करना।
- 4. नई संभावनाओं का अनुसरण करना: बजट को समय-समय पर संशोधित करके नई संभावनाओं का अनुसरण करना।
- 5. न्याय: विभाजनात्मक और उत्तरदायित्वपूर्ण बजट के माध्यम से समाज में न्याय को साधना।
- 6. आर्थिक पर्यावरण का मजबूतीकरण: बजट के माध्यम से आर्थिक पर्यावरण को मजबूत करना और उसका संरक्षण करना।
- 7. लागत की स्थिरता: लागत की स्थिरता को सुनिश्चित करना और अत्यधिक बढ़ोतरी से बचना।
- 8. पारदर्शिता: दक्षता और पारदर्शिता के माध्यम से वित्तीय प्रबंधन की सुनिश्चितता करना।
- 9. अभिवृद्धि की सामर्थ्य सुनिश्चित करना: विभिन्न क्षेत्रों में अभिवृद्धि की सामर्थ्य को सुनिश्चित करना।
- 10. नवाचारिता और परिणामकारिता: नवाचारिता के माध्यम से साधारण लाभ को मापने और परिणामकारिता को सुनिश्चित करना।
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