AI यानी , Artificial intelligence काफी समय से देश- विदेश में इसकी चर्चा हो रही है। आपने भी कई बार इसके बारे में सुना होगा, आज के समय में AI का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है जैसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, वित्त लेनदेन में, कृषि के क्षेत्र में और साइबर सुरक्षा में भी AI तकनीक का उपयोग होता है लेकिन असल में Artificial intelligence क्या है? यह कैसे काम करता है? और लोगो में इसके प्रति डर क्यों है? आइए जानते है.
जानिए!!
क्या है AI
AI यानी Artificial intelligence, हिंदी में इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है जिसका मतलब होता है बनावटी तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर साइंस की एक एडवांस्ड शाखा है. जिसमे एक मशीन को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिए इतना बुद्धिमान बनाने की कोशिश की जाती है, जिससे वो इंसानों की तरह ही सोच समझ सके और फैसले ले सके.
आसान शब्दो में समझे तो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वह तकनीक होती है जिसके माध्यम से कंप्यूटर, किसी इंसान की तरह ही सोच समझ कर, किसी काम को आसानी से कर सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को रोबोट टेक्नोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि AI का ज्यादातर उपयोग रोबोट बनाने के लिए किया जाता है.
उदाहरण के तौर पर समझे तो जैसे कोई इंसानी दिमाग किसी भी समस्या या प्रोब्लम को पहले समझता है फिर उसे अपने दिमाग में प्रोसेस करता है इसके बाद यह तय करता है की क्या करना सही होगा, और फिर आखिर में उस समस्या को हल करने की प्रक्रिया को पूरा करता है. इसी तरह आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में भी मशीनों को इंसान के दिमाग की खूबियां दी जाती है जिससे वह बेहतर तरीके से काम कर सके.
कैसे काम करता है AI ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग का भाग है, इसके जरिए AI बिलकुल इंसान जैसी बुद्धि के विकास की प्रकिया है इस तकनीक का सपोर्ट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में दिया जाता है, ताकि एल्गोरिदम को आसानी से समझा जा सकता है. किसी भी कंप्यूटर को इंसानों की तरह काम करवाने के लिए तीन तरह की प्रोसेस से गुजरना पड़ता है
AI तीन तरह की प्रोसेस पर काम करती है
1. लर्निंग प्रोसेस :
इस तरह की प्रोसेस में मेशिनों की मेमोरी में जानकारी को डाला जाता है जिससे वो कुछ नियमों को सीखते है, और वे इन नियमों का पालन करके किसी दिए गए कमांड को पूरा करते है.
उदाहरण से समझे तो जैसे किसी बच्चे को साइकिल चलाना सिखाया जाता है तो सबसे पहले उस बच्चे के दिमाग में साइकिल चलाने के स्टेप्स डाले जाते है जैसे की संतुलन कैसे बनाए और साइकिल के पैदल कैसे मारे. जिसके बाद वह बच्चा उन नियमों का पालन कर धीरे धीरे साइकिल चला सिख जाता है. ठीक इसी तरह कंप्यूटर्स के साथ भी किया जाता है.
2. रीजनिंग प्रोसेस :
इस प्रोसेस में मशीनों को ये इंस्ट्रक्ट किया जाता है की वे बनाए गए नियमों को फॉलो करे और उसके बाद वांछित परिणामों की तरफ आगे बड़े. हमारे द्वारा AI को दिया गए काम का जो भी आउटपुट आता है वहा अच्छे रीजनिंग के सहायता से ही मिलता है. इसलिए डेवलपर किसी भी AI को डिजाइन करने में रीजनिंग प्रोसेस पर अधिक ध्यान देते है.
पिछले उदाहरण के साथ समझे तो उस बच्चे से यह कह दिया जाए की साइकिल चलते समय संतुलन को बनाए रखे तो वह साइकिल से गिरेगा नही. ऐसा करने से बच्चा साइकिल चलाना जल्दी सीख जायेगा और इसके बेहतर परिणाम भी होंगे. इसी तरह मशीनों को भी यह इंस्ट्रक्ट दिया जाता है की वहा नियमों का पालन करे जिससे बेहतर परिणाम मिले.
3. सेल्फ करेक्शन :
इस प्रोसेस में एल्गोरिथम को AI डिवाइसों में शामिल किया जाता है जिससे दिए गए इनपुट जैसे टैक्स, इमेज, वीडियो, ऑडियो आदि को आपके हिसाब से एकत्रित करके सही और सटीक जानकारी देता है. ये ऐसे एल्गोरिथम होते जिसमे AI डिवाइस इंसानों की नकल करने की कोशिश करता है और उसी तरह से जवाब देने का प्रयास करता है.
उदाहरण, साइकिल चलते समय जब बच्चे के सामने कोई समस्या आती है तब बच्चा उन समस्यायों को सुधार कर के आगे बढ़ता है उसी तरह कंप्यूटर्स में समस्या का निवारण करके सही और सटीक जानकारी देने की कोशिश की जाती है.
कब और किसने की AI की शुरुआत ?
अमेरिका के कंप्यूटर वैज्ञानिक, जॉन मैकार्थी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है 1956 में मैकार्थी ने डॉर्टमाउथ कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था, इसी कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पहली बार AI के कॉन्सेप्ट और संभावनाओं पर चर्चा की थी. भले ही AI की शुरुआत 1950 में हुई थी लेकिन इसे पहचाना गया 1980 के दशक की शुरुआत में. 1981 में जापान ने AI तकनीक का इस्तमाल करते हुए फिफ्थ जेनरेशन (Fifth Generation) नाम की एक योजना की शुरुआत की. इसमें सुपर-कम्प्यूटर के विकास के लिए 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी.
जापान के बाद दूसरे देशों का ध्यान भी AI की ओर गया. ब्रिटेन ने इसके लिए ‘एल्वी’ नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया. यूरोपीय यूनियन के देशों ने भी ‘एस्प्रिट’ नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों, जैसे Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिए एक संस्था ‘माइक्रो – इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की.
AI तकनीक से क्यों डरते है लोग ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस दशक का सबसे चर्चित विषयों में से एक है यह एक जटिल तकनीक है जिसे आसानी से समझा नही जा सकता. हालांकि इसके कई फायदों के साथ साथ कई नुकसान भी है, जो लोगो को हानि पहुंचा सकते है यही कारण है की लोग इसे लेकर कई अनुमान लगाते है और भविष्य में इसे संकट के रूप में देखते है लोगो में इसके प्रति क्या क्या डर है आइए जानते है.
1. बेरोजगारी का डर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से बेरोजगारी बढ़ेगी, लोगो को यह डर है की आने वाले समय में AI करोड़ों लोगो की नौकरी खत्म कर देगा और उनकी जगह मशीनों से काम करवाया जायेगा, जिससे वे बेरोजगार हो जायेगे. इसके सबसे ज्यादा असर कंप्यूटर प्रोग्रामर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, कोडर, मार्केटिंग एनालिस्ट रिसर्च जैसे नौकरी पर होगा. और धीरे धीरे यह तकनीक अन्य नौकरियों पर भी अपना असर दिखाना शुरू कर देगी.
2. नियंत्रण खोने का डर
लोगो को यह डर है की आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस के आने से यह धीरे धीरे शक्तिशाली हो जायेगा और मानव हाथो से नियंत्रण छीन लेगा और एक समय के बाद मानव जाति का अंत हो जाएगा, क्योंकि रोबोट्स इस तकनीक के जरिए अपने आप को विकसित करके खुद खतरनाक हथियार बना सकते है.
3. गोपनीयता और निगरानी का डर
चेहरे की पहचान और डेटा विश्लेषण जैसे तकनीक के व्यापक उपयोग से लोगो में गोपनीयता और निगरानी का डर है उन्हे यह चिंता है की एआई सिस्टम उनकी सहमति के बिना व्यक्तिगत डेटा एकत्र और विश्लेषण करके उनकी गोपनीयता का उल्लंघन कर सकता है, इसके अलावा लोगो में यह डर है की उनकी सहमति के बिना उनपर निगरानी और उन्हे ट्रैक करने के लिए आई तकनीक का इस्तमाल किया जा सकता है जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और नागरिक स्वतंत्रता से समझौता किया जा सकता है.
AI का भविष्य कैसा होगा
आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस का भविष्य आने वाले समय और भी रोचक होने वाला है क्योंकि आए दिन इसमें कुछ न कुछ नया होता रहता है आजकल इसके एडवांस और डीप लर्निंग मॉडल्स बहुत तेजी से डेवलप हो रहे है, जिसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है जैसे एजुकेशन, मेडिकल डायग्नोसिस, सेल्फ ड्राइविंग कार, स्मार्ट होम्स, स्टॉक मार्केट एनालिसिस आदि. यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को आकार देने में काफी मददगार साबित होगा. आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.